आप ये सोच रहे होंगे कि रामप्यारी इतनी सीधी कब से हो गई?
तो बात यह है कि रामप्यारी नीचे वाली जगह आकर फ़ंस गई है. यहां ताऊ और ताई के साथ घूमने आई थी. अब यहां ना तो ताऊ दिखाई दे रहा है..ना ताई दिख रही है… और मैं कहां हूं? मुझे प्लिज जल्दी से यहां से बाहर निकालिये…मेरा जी घबरा रहा है..माथा घूम गया है होली वाली भांग पीने के जैसा.
मुझे जो भी यहां से फ़टाफ़ट बाहर निकालेगा उसको अगली बार मैं पहेली का जवाब पहले से बता दूंगी.
विद्या माता की कसम.
मुझे जल्दी से बाहर करिये. अगर मैं यहीं गुम होगई तो फ़िर मुझे याद करते फ़िरोगे कि हमारी रामप्यारी ऐसी थी..वैसी थी…फ़िर आपको कौन इतनी बकबास करके पकायेगा..और कोई पकायेगा नही तो आपका दिमाग कच्चा रह जायेगा..और दिमाग कच्चा रह जायेगा तो सोचो..सोचो..फ़िर क्या होगा?
फ़िर मत कहना कि रामप्यारी ने हमको बताया नही था…आज देखती हूं कि रामप्यारी का हितैषि कौन कौन है. जल्दी ..जरा…जल्दी…..छायावती बहन जी आप ही कुछ करो..आप तो आखिर गरीबों की मसिहा हो..और इस वक्त रामप्यारी से ज्यादा गरीब कौन है?
4 comments:
छायावती बहन जी इसमें क्या करेंगी,उन्हे तो खुद चुलायम सिंह और डमर सिंह ने भूल भुल्लैया में उलझा रखा है.....कटल बिहारी जी को बुलाओ तो शायद कुछ बात बन जाए.क्यों कि ये उन्ही का एरिया है.
मुझे लगता हैं की यह छत्रपति शाहूजी महाराज का किला हैं कोल्हापुर स्थित
किला नहीं महल :-)
मुझे तो भूल-भुलैया लग रही है। बाकि आप को जो सही लगे वही होगा। ताऊ जी राम-राम कहां फसा दिया आपने मैं भी रास्ता भूल गयी, कहां से अन्दर आयी थी ये भी भूल गई।
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