अब क्या हुआ ना कि एक दिन ताई ने बिना बात मेरी शिकायत लगा दी ताऊ से. बस अब तो ताऊ शुरु होगया लेक्चर देने. बस रामप्यारी का दिमाग खाली करके रख दिया बिना बात में
ताऊ बोला – रामप्यारी तुझको सब कुछ बिना मांगे मिल जाता है तो तू सिर्फ़ बदमाशी करती है. इतने अच्छे स्कूल मे तेरे को एडमिशन करवा दिया डोनेशन देकर. तो तेरे को एहसास नही है कि कैसे एडमिशन होते हैं आजकल.
बस इतना कहना था कि ताई बीच मे बोल पडी कि आजकल ही क्या? पुराने समय मे हमारे भारत मे दुसरे देशों से भी छात्र पढने आया करते थे. और उस जमाने मे भी उनको तीन तीन परिक्षाएं पास करनी पडती थी तब कहीं जाकर उनको एडमिशन मिलता था.
फ़िर दोनों मे हमेशा की तरह चख चख होने लग गई. मेरा नाम मत बताना कि मैने आपको ये बताया है. फ़िर हम एक बार वहां घूमने भी गये थे.

मुझे तो ऐसा मजा आया की क्या बताऊं? मैं तो उन इमारतों पर खूब उछली कूदी और खूब धमाचकौडी मचाई जब तक ताई ने मुझको डांटकर बैठाया नही.
ताई बोली रामप्यारी अब आराम से बैठ जा . नही तो रात को बोलेगी मेरे पांव दुख रहे हैं. और मैं खुद भी थक गई हूं इतनी बडी जगह मे घूम घूम कर. तो रात को मैं तेरे पावों मे तेल लगाने वाली नही हूं.

बस फ़िर हम वहां बगीचे मे ठंडी चांव मे इन पेडों के नीचे लेट गये. और मुझे तो वहां ऐसी नींद आई कि पूछो ही मत.
और एक आज की खास खबर बताऊं? अभी तक तो ताऊ और अल्पना आंटी ही पहेली पूछा करते थे. अब वो अपने समीर अंकल हैं ना..अरे बाबा वही अपने उडनतश्तरी वाले समीर अंकल.
हां तो अब उन्होने भी पहेली पूछनी शुरु करदी है. सच्ची मैं झूंठ नही बोल रही हूं. विद्या माता की कसम. आप चाहो तो जाकर देख लो. मैं तो सबसे पहले सही जवाब भी देकर आगई. आप भी जाकर मेरे जवाब की नकल मार लो. आप भी जीत जाओगे.
2 comments:
यह तक्षशिला है। शायद नालन्दा विश्वविद्यालय।
साथ में बोधिवृक्ष…
अरे रामप्यारी, तेरे कहने से तो वहाँ उड़न तश्तरी पर ट्रेफिक बढ़ गया. अब तो बनाना ही पड़ेगा तुझे संचालिका. :)
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